ज़रूरी है मेनोपॉज़ की जानकारी, ताक़ि थोड़ा ईज़ी हो जाए वह दौर!

October 27, 2022, 5:51 PM IST

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महिलाओं का लगभग एक-तिहाई जीवन रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) और रजोनिवृत्ति के बाद की अवस्था से जूझने हुए बीतता है. एक शोध अनुसार दुनियाभर में रजोनिवृत्ति और रजोनिवृत्ति के दौरा से गुजर चुकीं  महिलाओं की संख्या लगभग 1.2 बिलियन हो सकती है. महिलाएं इस दौरा में किन परेशानियों से दो-चार होती हैं, इसके बारे में ख़ुद महिलाओं को भी पूरी जानकारी नहीं होती है, पुरुष समाज तो इससे लगभग अनजान ही है. इस मुश्क़िल राह को थोड़ा आसान करने के लिए इप्सोस के साथ साझेदारी में एबॅट द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 87% लोगों को लगता है कि रजोनिवृत्ति एक महिला के दैनिक जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है. फिर भी, क्या यह चौंकाने वाली बात नहीं है कि इसके बाद भी इस विषय पर बातचीत बहुत कम होती है?

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रजोनिवृत्ति  के विषय में बातचीत का समर्थन और इससे जुड़ी घटनाओं को उजाकर करने के लिए, एबॅट द नेक्स्ट चैप्टर  कैंपेन आरम्भ कर रहा है. इस कैंपेन का उद्देश्य महिलाओं को जागरूक और सशक्त करना है ताकि वे अपनी ज़रुरत के लिए सहायता और देखभाल की माँग कर सकें. द नेक्स्ट चैप्टर कैंपेन की शुरुआत कहानियों के संकलन के साथ हुई जिनमें रजोनिवृत्ति के बारे में महिलाओं के ख़ास नजरिये और निजी अनुभवों को साझा किया गया है. कहानियों के इस संकलन को पूर्व मिस यूनिवर्स, लारा दत्ता ने प्रतिष्ठित गाइनेकोलॉजिस्ट्स, फेडरेशन ऑफ़ ओब्स्टेट्रिक्स ऐंड गाइनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ़ इंडिया (फोग्सी) के निर्वाचित प्रेसिडेंट डॉ. ऋषिकेश पई, अपोलो ऐंड फोर्टिस हॉस्पिटल्स के कंसलटेंट एंडोक्राईनोलॉजिस्ट डॉ. तेजल लाथिया और शीदपीपुल की फाउंडर शैली चोपड़ा के साथ मिलकर लॉन्च किया. 

रजोनिवृत्ति का मतलब

रजोनिवृत्ति (जब मासिक धर्म हमेशा के लिए बंद हो जाता है) हॉर्मोन में बदलाव का कारण होता है और इसकी शुरुआत आमतौर पर 45-46 की उम्र में होती है. औसतन भारतीय महिलाओं में पश्चिमी देशों की महिलाओं की अपेक्षा करीब पांच वर्ष पहले, 46 वर्ष की उम्र के आस-पास रजोनिवृत्ति हो जाती है, जिसके कारण अनेक प्रकार के शारीरिक, मानसिक और यौन संबंधी परेशानियों का सामना उन्हें करना पड़ता है, जिनसे उनके जीवन की गुणवत्ता बाधित होती है. हालांकि महिलाएं संकोच, सामाजिक दबाव और जागरूकता की कमी के कारण इस बारे में ना किसी को बताती हैं ना ही चिकित्सीय सहायता लेती हैं, जिसकी वजह से उनकी सेहत कई बार बहुत ख़राब हो जाती है और वे डिप्रेशन का शिकार भी हो जाती हैं.

 

मेनोपॉज़ के बारे में लोगों की राय जानने के लिए एबॅट कंपनी ने अपनी साथी कंपनी इप्सोस के साथ मिलकर हाल ही में एक सर्वेक्षण किया. इस सर्वेक्षण में सात शहरों के लगभग 1,200 लोगों को शामिल किया गया. इस सर्वेक्षण का उद्देश्य रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाएं जिस अनुभव से गुजरती हैं, उसके बारे में जागरूकता के स्तर और अवधारणाओं का आंकलन करना था. सर्वेक्षण में 45-55 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं और उनके परिवार के सदस्यों को शामिल किया गया था.

 
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सर्वेक्षण के अनुसार 82% लोगों का मानना है कि रजोनिवृत्ति से महिलाओं की सेहत पर असर पड़ता है. इनमें से अनेक लोगों का माना कि इससे उनका यौन जीवन (78%), पारिवारिक जीवन (77%), सामाजिक जीवन (74%) और कामकाजी जीवन (81%) प्रभावित हुआ है. करीब 48% महिलाओं ने रजोनिवृत्ति के तीव्र लक्षण महसूस करने की बात कही, जिनमें थोड़ा-थोड़ा रक्तस्राव (59%), अवसाद (56%), सम्भोग के दौरान पीड़ा (55%), और पीरियड के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव (53%) शामिल है. लगभग 84% लोगों को लगता है कि रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाएं अनेक बदलावों से गुजरती हैं, जिसके लिए परिवार की ओर से अधिक देखभाल की ज़रुरत है. लगभग 37% महिलाओं ने अपनी रजोनिवृत्ति की समस्याओं के लिए गायनकोलॉजिस्ट से परामर्श किया. इनमें से लगभग 93% महिलाओं ने लक्षणों का अनुभव आरम्भ होने के तीन महीने या उससे अधिक समय के बाद गायनोकोलॉजिस्ट से संपर्क किया. गाइनेकोलॉजिस्ट से परामर्श लेने वाली महिलाओं में से 54% महिलाएँ 7 महीने से अधिक समय के बाद डॉक्टर के पास गईं.

 

वहीं 35% महिलाएं, जो डॉक्टर के पास नहीं गई, उनमें से 21% ने आत्म-चिकित्सा (योग, घरेलू उपाय, ध्यान) आजमाए. 79% महिलाएं मानती हैं कि वो अपने परिवार, दोस्तों या सहकर्मियों के साथ रजोनिवृत्ति की चर्चा करने में सहज नहीं हैं, और उनमें से 62% इसलिए चर्चा नहीं करतीं क्योंकि वे “अपनी स्वास्थ्य की समस्या से अपने परिवार को परेशान नहीं करना’ चाहती हैं. 76% महिलाओं ने बताया कि उनहोंने रजोनिवृत्ति के दौरान अपनी मां और/या बड़ी बहनों को किसी से कोई मदद मांगते हुए कभी नहीं सुना था़ रजोनिवृत्ति से गुजरने वाली लगभग 74% महिलाओं को सामाजिक उत्‍सवों या पार्टियों में जाने की इच्छा नहीं होती, और 63% अपने समकक्ष समूहों में पहले की तरह आत्मविश्वास महसूस नहीं करतीं हैं.

 

73% कामकाजी महिलाएं काम से बार-बार छुट्टी लेने को बाध्य होती हैं, और 66% को कार्यस्थल में मनोदशा में अस्थिरता और चिड़चिड़ेपन का अनुभव आम रहा है. 80% लोगों का मानना है कि रजोनिवृत्ति की तुलना में गर्भनिरोधकों और बांझपन पर चर्चा करना ज़्यादा आम है. सर्वेक्षण में शामिल पतियों में से 91% का सोचना है कि जागरूकता बढ़ाने के लिए ज़्यादासे ज़्यादा महिलाओं को रजोनिवृत्ति से सम्बंधित अपने अनुभवों के बारे में बात करने की ज़रुरत हैं.

 

सर्वेक्षण के इन आंकड़ों से साफ़ जाहिर होता है कि मेनोपॉज़ के बारे में जानकारी और उसकी जागरूकता को लेकर लोगों में किस क़दर कमी नज़र आ रही है. इसलिए अगर आप मेनोपॉज़ के प्रॉसेस के बारे में जानकारी रखते हैं तो अपने घर की और आसपास की औरतों से इसके बारे में बात करें और उन्हें जागरूक करें.